संसाधनों का रोना
आज प्रशासन के मुखिया की रिपोर्ट भी कोरोना संक्रमित की आ गई थी।स्थानीय सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और अन्य मेडिकल अमला सीमित संसाधन होने के बाद भी पूर्ण रूप से अन्य मरीजों के साथ उनकी सेवा सुश्रुषा में लगा हुआ था ।उन्हें डॉक्टरों के स्वर सुनाई दे रहे थे-“क्या करें संसाधनों की कमी तो है ही और स्थिति भी बिगड़ती जा रही है लेकिन फिर भी हम इन्हीं संसाधनों के बलबूते यह जंग अंततः जीत ही लेंगे।”
उधर प्रशासन प्रमुख को तीन महीने पहले अस्पताल के निरीक्षण के दौरान की बात याद आ गई जब उन्होंने डॉक्टर, नर्स सहित समस्त स्वास्थ्य अमले की खिंचाई करते हुए अस्पताल की अव्यवस्था के लिए लताड़ लगाते हुए कहा था कि आपके पास बहानेबाजी के अलावा कोई काम नहीं है।हमेशा संसाधनों का रोना रोते रहते हैं ।
आज उस दिन की घटना याद करते समय उनकी आँखें नम थीं।