आपातकाल और श्रमिक
आज के हाल, हुए बेहाल
और ये आपातकाल !
कितना बेबस है वो श्रमिक
रोज कमाकर खानेवाला है
और,,
अकेला है अपने परिवार का
करने वाला भरण-पोषण!
आज समय की माँग को देखते हुए,
जो आपातकाल जैसी
स्थिति हुई है उतपन्न!
जिसने तोड़ दी है उस श्रमिक की कमर,
जो बिना रोजगार के बैठा है निराश
उस सोच-विचार में,
कि कब ये आपातकाल हटेगा
और वो कब पेटभर भोजन
सुकून से खिला पायेगा
अपने परिवार को!
— सपना परिहार