22 मार्च 1912 को ‘बिहार’ नहीं बना था ?
बिहार की स्थापना तिथि 22 मार्च 1912 सच प्रतीत नहीं होती है ! ऑनलाइन अखबार मैसेंजर ऑफ आर्ट ने प्रकाशित किया है कि अगर ऐसा हुआ होता, तो रबीन्द्रनाथ ठाकुर (टैगोर) की रचना ‘भारत भाग्य विधाता’ ( वर्तमान में भारतीय राष्ट्रगान ) में उड़ीसा (उत्कल) की चर्चा है, परंतु बिहार की चर्चा नहीं है, जबकि उन दिनों उड़ीसा ‘बिहार’ का कमिशनरी- मात्र था और वो 1936 में बिहार से अलग होकर अलग प्रांत का दर्ज़ा पाया था । यहां कई बातें एक साथ दृष्टिगोचित होती है:— या तो श्री ठाकुर की रचना में ‘उत्कल’ शब्द बाद में जोड़ा गया है, या तो ‘ बंग'(बंगाल) शब्द देकर और ‘उत्कल’ शब्द जोड़कर भाई-भतीजा करके पक्षपातपूर्ण कविता रची गयी, चूंकि गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पास ऐसी रचना के प्रथम प्रकाशित पत्रिका का कोई प्रमाण नहीं है और सबसे जटिल स्थिति इस कविता के भाषा का है ।
खैर, हम अब बिहार पर लौटते हैं । यह शब्द ज्यादा पुराना नहीं , जो क़ि बंगाल के मुसलमानों की उच्चरित-देन ज्यादा प्रतीत होती है । बंगाली मुसलमान ‘तुर्की’ भाषा से प्रभावित रहे हैं और बांग्ला वर्ण में ‘व’ को ‘ब’ कहा जाता है । महात्मा बुद्ध के जीवित रहते और महापरिनिर्वाण के कई सदी बाद तक सम्पूर्ण बंगाल में ‘मठ’ या ‘विहार’ काफी संख्या में यत्र-तत्र अवस्थित थे। नालंदा, राजगीर, गया, अंगदेश (भागलपुर) , पुरैलिया (अब पं. बंगाल में ) इत्यादि स्थानों में बौद्ध-विहार रहे हैं । यह विहार ही तुर्क-बंगालियों के मुखारविंद में आकर कालान्तर में ‘बिहार’ कहलाया, यह तथ्य सटीक हो सकता है, पर पूर्ण सटीक नहीं ! इसके कई कारण है ।जहां तक मैं जानता हूँ, ‘बिहार’ शब्द किसी भी संस्कृत और हिंदी शब्दकोश में नहीं है, यह बौद्ध काल के पालि में भी नहीं है (अगर किसी के पास सम्बंधित-प्रमाण है तो मुझे उपलब्ध कराने की कृपा करेंगे)!
भारतीय इतिहास में सोलह महाजनपदों का ज़िक्र है, जिनमें कई बिहार क्षेत्र में रहा । परंतु तब भी उस परिप्रेक्ष्य में ‘बिहार’ नाम का उल्लेख नहीं मिलता है । हाँ, कुछ सदी पहले ही नालंदा अवस्थित ‘बिहार शरीफ़’ ख्याति लिए रहा है । बंगाल के पाल राजवंश के पतन के बाद और तुर्क मंगोलाई के उत्थान (आक्रमण) का समय 1198 ई0 माना जाता है । ओदन्तपुरी को जीत कर इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद इब्ने बख्तियार ख़िलज़ी ने इसे अपनी राजधानी बनाया, लेकिन राजधानी के साथ ही उनका नाम ‘बिहार शरीफ’ कर दिया । बिहारशरीफ को ‘बिहार’ भी कहा जाने लगा । उस समय बिहार का उल्लेख राजधानी के रूप में होना संभव है, चूंकि तब राजधानी भी प्रांत के नाम से ख्यात् होता था । बिहाररूपेण प्रशासन इकाई की चर्चा ‘ तबकात -ए-नासिरी ‘ (लेखक:-मिन्हाज़) में ही पहली बार है । शेरशाह को पेशवा की भांति सहसराम (सासाराम) के सूबेदार के रूप में मूलरूपेण जाना जाता है । वैसे अबुल फज़ल की रचना में बिहार और उनकी सीमा का जिक्र होना कथ्यान्कित है । मैं बिहार से इतर पाटलिपुत्र,अज़ीमाबाद, पटना सहित मगध, मिथिला, अंग, मत्स्य इत्यादि पर ध्यान न देकर सिर्फ बिहार और इस शब्द पर ही फ़ोकस करना चाहता हूँ । वास्तव में प्लासी का युद्ध (1757) बिहार में ही शुरू होकर यहीं ख़त्म हुआ था, क्योंकि एक ‘प्लासी’ (या पलासी) बिहार के अररिया ज़िला में है, यह महत्वपूर्ण बात हो सकती है, तथापि इतिहासकारों द्वारा जो ‘प्लासी’ नामक स्थान चिह्नित है, वो भी तो तब बिहार या विहार प्रसार लिए हो सकते हैं ! वैसे तब बक्सर का युद्ध (1764) बिहार होने के लिए निर्णायक था । रेगुलेटिंग एक्ट-1774 के बाद पटना परिषद् ‘बिहार परिषद्’ कहलाया । इसके बाद 1894 में बिहार का नाम लिए पत्रिका ‘बिहार टाइम्स’ भी प्रकाशित हुआ, जिनमें डॉ. महेश नारायण और डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा के सम्पादकत्व में बिहार को अलग राज्य बनाए जाने की मांग किया गया । बंग-भंग के समय (1905-06) बिहार प्रांत बनाये जाने की मांग ने और जोर पकड़ा । इसके बाद बिहार कांग्रेस कमिटी का भी गठन हुआ । मुहम्मद फखरुद्दीन, मजहरुल हक़ और दरभंगा महाराज ने बिहार प्रांत बनाये जाने के लिए अहम् किरदार निभाये । ऐसे में1906 का समय ही पुस्तिका प्रकाशन के साथ ही बिहार स्थापना का समय माना जाएगा , बिहार विधान परिषद् की स्थापना, बिहार के पूर्णिया ज़िला की स्थापना 1750 से 1800 के बीच होना 22.03.1912 को बिहार की स्थापना को गलत ठहराता है , तो क्या उस व्यक्ति (आदरणीय स्व. अटकू दर्फ़ी) की बात को सही मान लूँ, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी स्व. योगेश्वर प्रसाद ‘सत्संगी’ को कहा था कि 29.02.1908 को राय बहादुर की सहायता से पुरैनिया ज़िला कलक्टर को पत्र लिखा था-
BIHAR means B=Bharat warsh, I=India, H=Hindustan, A=Aaryawarta, R=Rishi rashtra. This analysis for Bihar that Bihar is new province of British India !
यहाँ R से आशय ‘ऋषि राष्ट्र’ सही है, किन्तु R से रीवा या रेवाखण्ड नहीं है! एक सनातन धार्मिक पुस्तक में रेवाखण्ड का जिक्र है, किन्तु इस ‘खंड’ से तात्पर्य ‘अध्याय’ है ! वैसे भी ‘रीवा’ एक प्रांत (मध्यप्रदेश) का एक ज़िला व जनपद है।