ग़ज़ल
ज़हर घूँट – घूँट उसने जब पिया होगा
नाम किसका-किसका जाने तब लिया होगा
तू आईना है जो होगा वही दिखाएगा
मेरा ही चेहरा वक़्त ने बदल दिया होगा
जो सब सह के भी ख़ामोश है ज़रा सोचो
लबों को उसके किस मजबूरी ने सिया होगा
दिखाई देता है पत्थर जो शख्स बाहर से
उसके सीने में अश्कों का इक दरिया होगा
मेरी वफाएँ बहुत याद आईं होंगी उसे
दोबारा इश्क़ उसने जब कभी किया होगा
— भरत मल्होत्रा