मुक्तक/दोहा

दिलखुश जुगलबंदी-27

रिश्तों की धूप को फीका मत पड़ने देना

life का हर गोल रहे आपका clear,
तुम सक्सेस पाओ without any fear
हर पल जियो without any tear,
enjoy your day my dear.
रविंदर सूदन

मौसम का गुरुर तो देखो,
तुमसे मिल के आया हो जैसे!
सुदर्शन खन्ना

ये ख़ास लम्हें मुबारक,
आँखों में बसे नए ख्वाब मुबारक,
जिंदगी जो लेकर आई है आपके लिए आज..
वो तमाम खुशियों की हंसीं सौगात मुबारक.

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
हैरत यह है कि हर सुबह यह मुझसे पहले जाग जाती हैं!

हो पूरी दिल की हर ख्वाहिश आपकी,
और मिले खुशियों का जहाँ आपको,
मांगोगे कभी एक तारा खुदा से,
वो झोली भर दे तुम्हारी पूरे आसमान से.

ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है,
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है.
दवा अगर काम न आए तो नज़र भी उतारती है,
ये माँ है साहब हार कहाँ मानती है!

जो खैरात में मिलती कामयाबी तो हर शख्स कामयाब होता,
फिर कदर न होती किसी हुनर की और न ही कोई शख्स लाजवाब होता,
कामयाबी के सफ़र में मुश्किलें तो आएँगी ही,
परेशानियाँ दिखाकर तुमको तो डराएंगी ही,
चलते रहना कि कदम रुकने न पायें,
अरे मंजिल तो मंजिल ही है, एक दिन तो आएगी ही.

बचपन के भी वो दिन क्या खूब थे,
न दोस्ती का मतलब था न मतलब की दोस्ती थी!!

बुलंद हो हौसला तो मुठी में हर मुकाम है,
मुश्किलें और मुसीबतें तो ज़िंदगी में आम है,
ज़िंदा हो तो ताकत रखो बाज़ुओं में लहरों के खिलाफ तैरने की,
क्योंकि लहरों के साथ बहना तो लाशों का काम है!!

ख़ारिज इंसानियत से उस को समझो,
इंसाँ का अगर नहीं है हमदर्द इंसान.

वो जो शोर मचाते हैं भीड़ में भीड़ ही बनकर रह जाते हैं,
वही पाते हैं जिंदगी में कामयाबी,
जो ख़ामोशी से अपना काम कर जाते हैं.

एक सपने के टूट कर चकनाचूर हो जाने के बाद,
दूसरे सपने देखने के हौसले को ज़िन्दगी कहते हैं!

यूँ ही नहीं मिलता कोई मुकाम,
उन्हें पाने के लिए चलना पड़ता है,
इतना आसान नहीं होता कामयाबी का मिलना,
उसके लिए किस्मत से भी लड़ना पड़ता है.

ज़िन्दगी ये तेरी खरोंचें है मुझ पर,
या तू मुझे तराशने की कोशिश कर रही है!

जिंदगी जीने का तरीका उन्हीं लोगों को आया है,
जिन्होंने अपनी जिंदगी में हर जगह धक्का खाया है,
जमाया है सर्द रातों में खुद को तपती धूप में खुद को तपाया है,
वही हुए हैं कामयाब जिंदगी में, उन्होंने ही इतिहास रचाया है.

कुछ रिश्तों में मुनाफा नहीं होता,
लेकिन ज़िन्दगी को अमीर बना देते हैं!

है दुआ मेरी खुदा से, कि कामयाब करे तुझे हर तरीके से,
दूर रखे हर मुश्किल से, और तू हर पल खुश रहे दिल से.

सफल रिश्तों के बस यही उसूल हैं,
बातें भूलिए जो फिजूल हैं!!

सूरज की किरणें तेज़ दें आपको,
खिलते हुए फूल खुशबू दे आपको,
हम जो देंगे वो भी कम होगा,
देने वाला ज़िंदगी की हर ख़ुशी दे आपको.

थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है,
ज़िन्दगी फिर भी यहाँ की खूबसूरत है!!

यह ख़ास पल हो मुबारक़ तुम्हें,
आँखों में बसे नए सपने हो मुबारक़ तुम्हें,
यह ज़िन्दगी जो लेकर आई है तुम्हारे लिए,
उन सब खुशियों की बरसात हो मुबारक़ तुम्हें.

आ रही है जो चाप क़दमों की,
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद.

फूल खिलते रहें ज़िंदगी की राह में,
हंसी चमकती रहे आपकी निगाह में.
कदम-कदम पर मिले खुशी की बहार आपको,
दिल देता है यही दुआ बार-बार आपको.

सीख ले फूलों से गाफिल मुद्दआ-ए-जिंदगी,
खुद महकना ही नहीं, गुलशन को महकाना भी है.

बिना लक्ष्य के जीने वाले इंसानों की, जिंदगी कहाँ अमीर होती है,
जब मिल जाती है सफलता, तो नाम ही सबसे बड़ी जागीर होती है।

वक़्त भी हार जाता है कई बार ज़ज्बातों से,
कितना भी लिखो, कुछ-न-कुछ बाकी रह ही जाता है!!

सूरज की तपिश और बेमौसम बरसात को हंस कर झेला है,
मुसीबतों से भरे दलदल में अपनी जिंदगी को धंस कर ठेला है,
यूँ ही नहीं कदम चूम रही है सफलता,
आज इस खुले आसमान तले ज़माने भर के नामों को पीछे छोड़ा है,
तब जाकर नाम फैला है.

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं,
हवा चले-न-चले दिन पलटते रहते हैं.

दुनिया के सारे शौक पाले नहीं जाते,
कांच के खिलौने हवा में उछाले नहीं जाते,
परिश्रम करने से जीत हो जाती है आसान,
क्योंकि हर काम तक़दीर के भरोसे टाले नहीं जाते.

ज़मीं-सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा,
ज़रा-सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है.
(सिंधी भाषा में सख़ी या शखी का अर्थ दानी होता है)

हर दिशा जीने की एक नयी आस दे आपको,
हर लम्हा हर पल कुछ ख़ास दे आपको,
उगता हुआ सूरज खिलता हुआ फूल.
हर दिन ताजगी भरा अहसास दे आपको,
आपके लम्बे और मंगलमय जीवन की अभिलाषा करते हैं.

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी,
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी.

ये मोड़ तो आते-जाते-मुड़ते रहेंगे,
नए-नए साथी मिलते-जुलते-जुड़ते रहेंगे,
बस रिश्तों की धूप को फीका मत पड़ने देना,
फिर हम बिंदास पंछी की तरह उड़ते रहेंगे.
लीला तिवानी

ब्लॉग ”300 उत्कृष्ट रचनाओं की बधाई: सुदर्शन भाई” पर, रविंदर सूदन और सुदर्शन खन्ना की काव्यमय चैट पर आधारित.

आज फिर दो धुरंधरों की वाक-जुगलबंदी ने दिल को खुश करके अवाक कर दिया, फिर भी उसमें एडीटर को रिश्तों की धूप को फीका न पड़ने देकर फिर से मुक्त गगन में बिंदास पंछी की तरह उड़ते रहने का मनभावन संदेश दिखाई दे गया. यही तो है दिलखुश जुगलबंदी का दिलखुश संदेश!

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “दिलखुश जुगलबंदी-27

  • लीला तिवानी

    आज फिर दो धुरंधरों की वाक-जुगलबंदी ने दिल को खुश करके अवाक कर दिया, फिर भी उसमें एडीटर को रिश्तों की धूप को फीका न पड़ने देकर फिर से मुक्त गगन में बिंदास पंछी की तरह उड़ते रहने का मनभावन संदेश दिखाई दे गया. यही तो है दिलखुश जुगलबंदी का दिलखुश संदेश! सुदर्शन खन्ना की विशेष उपलब्धि पर रविंदर सूदन ने जो बधाई और दुआओं के दिलखुश संदेश भेजे, वे रविंदर सूदन के जन्मदिन 3 मई को रोशन करने के लिए भी मार्गदर्शक बन गए हैं.

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