गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका प्रदत्‍त छंद

 

छंद- चामर (वार्णिक)

मापनी- 212 121 212 1,21 212

पदांत- हो गया.

समांत- आन

212 121 212 1,21 212

राम राज का समाज ले निशान हो गया।

आज ये सभी कहें भला मकान हो गया।।

जान शरण के करीब सा मुरीद हो गया।

करन आस में ढला बना महान हो गया।।

एक बुढा तड़फ रहा दिखा यतीम सा हुआ

प्रभु मदद करें दलील दरमियान हो गया।।

बहुत से मिले गरीब या अमीर से यहाँ

सोच वास्ता अजीब ले कमान हो गया।।

यातना सहें नही बचाव ही बिहान है

सोचता किसान अब यहाँ बड़ा ऊगे फले

यातना सहें नही ठहर बिहान हो गया।।

वक्‍त आपदा टले समाज देश चाहता,

क्‍यों अकाल मृत्‍यु खबर सुन सुनान हो गया.

हैं चुनौतियाँ घनी सतर्क अभी हुए उड़ी,

खो न दें कई विरासतें बड़ा दफन हो गया .

स्वरचित –रेखा मोहन २6/४/२०

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]