इतिहासलेख

ज’ से जयप्रकाश, ‘जा’ से जार्ज

●ज’….

आजीवन ‘दमा’ रोगी और डायबिटीज़ के मरीज़ रहे क्षीणकायी ‘जयप्रकाश’ ने तो लौह महिला इंदिरा गाँधी को पस्त कर दिए थे। आपात काल का विरोध और ‘सम्पूर्ण क्रांति’ का मंत्र का उच्चारण करनेवाले को न केवल भारतीय, अपितु विदेशी राजनयिक भी जे.पी. नाम से ताउम्र पुकारते रहे, वो भी प्यार से !

उनकी जन्मतिथि अक्टूबर की 11 तारीख को है। अक्टूबर माह उनसे संबंधित भी रहा है, न सिर्फ जन्मदिवस, अपितु मृत्यु दिवस और विवाह तिथि लिए भी ! बिहार और गुजरात में छात्रों के आंदोलन को सम्पूर्ण भारत में प्रसरण करनेवाले जे.पी. ने और ही सिंहनाद कर इंदिरा-सत्ता की चूलें हिलाकर रख दिये ! उस समय बिहार में जे.पी. का मार्च पास्ट पटना में आंदोलनरत थे और बिहार में कांग्रेस की सरकार थी । बिहार के एकमात्र मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर थे, उनके आदेश पर उनकी पुलिस ने आंदोलनरत जे.पी. पर लाठीचार्ज कर दिए।

प्रसिद्ध चित्रकार श्री रघु राय ने पुलिस द्वारा लाठी से मार खाते ‘जे.पी.’ के चित्र को अपने कैमरे से खींचा है, जो ऐतिहासिक है । इसी पिटाई से धीरे-धीरे जे.पी. अस्वस्थ होते चले गए और अंततः मृत्यु को प्राप्त हुए । आजादी से पहले जे.पी. समाजवादी होते हुए भी क्रांतिकारी ‘स्वतन्त्रता सेनानी’ थे । हज़ारीबाग़ जेल से फरार, ‘आज़ाद दस्ता’ का गठन, नेपाल के जंगलों में विचरण इत्यादि भूमिकाओं से आबद्ध जे.पी. ने आज़ादी के बाद भी स्व-सत्ता के ‘डिक्टेटर’ के विरुद्ध भिड़ पड़े और इंदिरा गाँधी को सत्ताच्युत कर डाले।

जनता पार्टी की सरकार होने पर सबकोई चाहते थे, वे देश के प्रधानमंत्री बने, किन्तु गाँधी की तरह उन्होंने भी सत्ता ठुकरा दिए! जब ‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी’ की सरकार केंद्र में आई, तब जे.पी. के व्यक्तित्व और कृतित्व पर उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से मरणोपरांत अलंकृत किया गया।
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● ‘जा’….
बिहार में नीतीश जी को मुख्यमंत्री बनानेवाले जॉर्ज फर्नाडीज थे और जॉर्ज साहब को राजनीति से दूर करनेवाले नीतीश जी हैं ! राजनीति में न किसी के स्थायी दोस्त होते हैं, न ही दुश्मन ! जब झारखण्ड नहीं बना था, तब जॉर्ज साहब से मिलने और साक्षात्कार लेने का अवसर मुझे मिला था ! तब वे केंद्र में वाजपेयी सरकार में वरिष्ठ मंत्री थे और झारखंड बनाये जाने पर चर्चा अंतिम स्थिति लिए था।

जब वे रक्षा मंत्री थे, पोखरण-2 हुआ था । कर्नाटक में जन्में जॉर्ज साहब मजदूरों के नेता के रूप में महाराष्ट्र में उभरे और वहीं से वार्ड पार्षद से सेवा शुरू कर वहीं लोकसभा सांसद बने । तब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक भी वहीं उनके वार्ड पार्षद थे ! अंततोगत्वा, बिहार ‘जॉर्ज साहब’ की अंतिम कर्मभूमि रही । मोरारजी सरकार में रेल मंत्री थे, तब प्लेटफॉर्म पर मिट्टी के भाँड़ (प्याली) में चाय बेचनी शुरू हुई थी । इससे कुम्हार बंधुओं को रोजगार पाने के अवसर और भी विस्तृत हो पाए !

इंदिरा गांधी से कभी पटी नहीं और कई बार जेल गए ! आपात में जेल में जॉर्ज साहब श्रीमद्भगवद्गीता का वाचन किया करते थे । उनके कई प्रसंग विवादों से घिरा है, जैसे- जया जेटली से प्रेम-संबंध, धार्मिक कट्टरता के हिमायती नहीं रहने के बावजूद आडवाणी जी और अटल जी से मधुर संबंध आदि-आदि।

खैर, कई भाषाओं के जानकार होने के कारण वे अटल जी के वास्तविक हनुमान (दूत) थे, जैसे- जयललिता, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, करुणानिधि इत्यादि के साथ वाक चुहलता लिए उनसे अटल जी को जोड़े रखे!

पत्रकारिता के दौर में उन्होंने कहा था- संसद वेश्या है ! तब उनपर संसद की अवमानना चली थी । ऐसे हल्लाबोल एक्टिविस्ट की गुमनामी लिए मौत, जो कि 9 बार लोकसभा सदस्य और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हों, हर भारतीयों को मर्मान्तक तक चोट पहुंचाता है ! भारत सरकार श्रीमान जार्ज (जॉर्ज) साहब को मरणोपरांत ‘पद्मविभूषण’ से अलंकृत किया।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.