कविता

सड़कें यूं  उदास तो न थी ….!!

अपनों से मिलने की ऐसी तड़प ,  विकट प्यास तो न थी
शहर की  सड़कें पहले कभी यूं उदास तो न थी
पीपल की छांव तो हैं अब भी मगर
बरगद की  जटाएंं यूं  निराश तो न थी
गलियों में  होती थी समस्याओं की  शिकायत
मनहूसियत की महफिल यूं बिंदास तो न थी
मुलाकातों में  सुनते थे ताने –  उलाहने
मगर जानलेवा खामोशियों की यह बिसात तो न थी .
— तारकेश कुमार ओझा 

*तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) पिन : 721301 जिला पश्चिम मेदिनीपुर संपर्क : 09434453934 , 9635221463