ताकत का आभास
बँधी बुहारी से हो हमको, शक्ति भरा अहसास ।
मिलकर रहते वे ही करते, ताकत का आभास ।।
सबने मिलकर ही सागर पर, किया सेतु निर्माण ।
ऐसे ही सन्देश बताते, हमको वेद पुराण ।।
रहते जो संयुक्त रूप से, भरे आत्म विश्वास ।
मिलकर रहते वे ही करते, ताकत का आभास ।।
सदा आत्मबल से ही मानव, पार करें मझधार ।
बने सदा सामर्थ्यवान ही, दलबल का सरदार ।।
भरा पड़ा है अखिल विश्व में, इसका तो इतिहास ।
मिलकर रहते वे ही करते, ताकत का आभास ।।
सरल नीर ही सदा तोड़ता, पत्थर तीव्र बहाव ।
उसे नही कमजोर मानिये, मित्रों सरल स्वभाव ।।
क्षमा वही करता निर्बल को,जज्बा जिसके पास ।
मिलकर रहते वे ही करते, ताकत का आभास ।।
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला