कविता

अतृप्त भावनाएं

पलकों की नमकीन सतह
से, फिसलती हुई खारी सी
कुछ बूंदें, नकारे हुए ख़्वाबों
पर टपा टप गिर पड़ती हैं
भरसक, प्रयत्न करती हैं
वो थम जाने का,   पर…
सिसकियों की दबी हुई
घुटन, हृदय में तीव्र जलन
पैदा करने लगती है, लेश
मात्र संशय नहीं इसमें कि
ये थकन सिर्फ बदन की
नहीं मन में बसी हुई उन
अधूरी ख़्वाहिशों की है
जिन्हें, पूरा करने की
जद्दोजहद उकसाती रही
उम्र भर, तपती धूप में
जलकर वो ठंडी छांव पा
लेने के लिए जिसकी ठंडक
पूर्णता का अनूठा अहसास
भर दे अंदर और सुप्त
भावनाएं, तृप्त होकर जाग
जाए फिर, सदा के लिए!

— निधि भार्गव मानवी

निधि भार्गव मानवी

पिता का नाम _श्री गोपाल शर्मा पति का नाम_श्री मुकेश भार्गव स्थाई पता _7/52 गीता कालोनी, दिल्ली _110031 फोन नं._8745042011 जन्म तिथि _9 अगस्त 1972 शिक्षा_ग्रेजुएट व्यवसाय_ग्रहणि अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित(होती रहती है) प्रकाशित पुस्तकों की संख्या_चार साझा काव्य संकलन एकल काव्य संग्रह - अनकहे जज़्बात दो पुस्तकें प्रकाशाधीन सम्मान का विवरण_आगमन गौरव सम्मान 2017 /कविता कुंभ सम्मान आगमन/काव्य सागर सम्मान साहित्य सागर द्वारा /आगमन एवार्ड आफ आॅनर/ फैंन्टास्टिक फीमेल बाय आगमन/ भारत उत्थान न्यास द्वारा सम्मानित /उन्नत भारत स्वच्छ भारत कवि सम्मेलन में सम्मान प्राप्ति। प्रतिष्ठित टी वी चैनलों पर काव्य पाठ।