हड़ताल बाद नियोजित शिक्षकों के योगदानार्थ फिजिकल डिस्टेंसिंग का खुला खेल फर्रूखाबादी !
ध्यातव्य है, लाखों नियोजित शिक्षक संदर्भित मुख्यालय से दूरी लिए हैं तथा आवागमन हेतु वाहन-परिचालन बाधित होने से उनकी व्यक्तिश: दैहिक उपस्थिति संभव नहीं हो पा रही है। शिक्षा विभाग के 6 मई ’20 के पत्र में घर पर फँसे वैसे शिक्षकों के लिए जो दूसरे जिलों में शिक्षक हैं, को लेकर लिखा है कि वे गृह जिलाधिकारी से विद्यालय मुख्यालय जाने के लिए यात्रा-पास ले लेंगे।
प्रश्न है, जो शिक्षक अपने जिले में ही शिक्षक हैं और घर पर फँसे हैं और विद्यालय या मुख्यालय कई किलोमीटर दूर है और उनके पास कोई वाहन नहीं है, वो जिलाधिकारी या संबंधित मुख्यालय व विद्यालय ‘योगदान’ लेने कैसे पहुँचेगे ?
अगर विभाग व्हाट्सएप पर फरमान जारी करते हैं, तो लॉकडाउन अवधि तक योगदान व्हाट्सएप से ही क्यों न ले लेते ? ऐसे शिक्षकों को अन्यथा की स्थिति में मार्गदर्शन भी अगर कहीं से नहीं मिल रही है, तो वो क्या करें, क्या ना करें ? द्वंद्वात्मक स्थिति लिए है और शिक्षाधिकारियों के कार्यालय/मुख्यालय में योगदान के लिए आपाधापी और धमाचौकड़ी से लॉकडाउन विहित ‘फिजिकल डिस्टेंसिंग’ तो खुला खेल फर्रूखाबादी बन गई है !