श्रीमती कनिका शर्मा एक अध्यापिका व प्रतिष्ठित महिला है। गुवाहाटी में उनका अपना छोटा सा दो बेडरूम का घर है। दो बच्चे हैं। जो बड़े हो चुके हैं। अब सारा लाड़-प्यार वह अपने पालतू कुत्ते कालू पर लुटाती रहती थीं। श्रीमती शर्मा के यहाँ काम करने वाली मालती अपने साथ पांच वर्ष की बेटी बुलबुल को लेकर आती थी क्योंकि घर पर कोई नहीं रहता था। मालती दौड़- दौड़ कर काम में लग जाती थी और बुलबुल को दरवाजे के एक कोने में बैठा देती थी। कनिका कालू को प्यार से अपने हाथ से बिस्कुट खिलाती थी। उसका मुंह साफ करती थी। उसके पंजे पोंछ कर थपकी देकर सुलाती थी।
बुलबुल की नाक बहती रहती थी। वह भूखी प्यासी यह सब देखती रहती थी। कनिका बीच-बीच में बुलबुल को डांटती जाती थी। तू इतनी गंदी क्यों रहती है। देख हमारा कालू कितना साफ रहता है। बुलबुल कुछ नहीं बोलती थी। सिर्फ बड़ी-बड़ी आँखों से कालू को देखती रहती थी। लगता है जैसे उसे भी कालू की तरह बनना है। मालती द्वारा सब काम करने के बाद कनिका उसे दो-तीन दिन का बचा-खुचा बासी खाना देती थी। जिसे माँ-बेटी एक कोने में बैठकर खा लेती थीं। उसी समय कनिका कालू को दूध- चावल खिलाती थी। बुलबुल की आँखें दूध-चावल पर लगी रहती थीं। बुलबुल ने आज तक कभी दूध नहीं पिया था। वह भी दूध पीना चाहती थी। बिस्कुट खाना चाहती थी पर उसके भाग्य में तो बासी सूखी रोटी लिखी थी। वह एकटक कालू के खाने को ही देखती रहती थी। यह दृश्य बुलबुल अक्सर देखती थी। एक दिन मालती बुलबुल के साथ मंदिर गई तो वहां बुलबुल जोर जोर से अपनी तोतली भाषा में कुछ बोल रही थी। कोई उसकी बात नहीं समझ सका पर उसकी माँ समझ गई और वहीं फूट- फूटकर रोने लगी। पंडित सहित सभी का ध्यान मालती पर गया, तो रोने का कारण पूछा? मालती ने रो-रो कर सबको बताया कि वो बहुत गरीब है। घरों में काम करके किसी तरह अपने बच्चों को पाल रही है। उसने कनिका मेम साहब और उनके पालतू कुत्ते कालू की बात भी सबको बताई और अंत में बताया कि आज मेरी बेटी बुलबुल ने भगवान से मांगा है कि भधबान मुदे भी तालू बना दो। मुदे भी दूद बात थाना है। यानि भगवान मुझे भी कालू बना दो। मुझे भी दूध भात खाना है।
छोटी सी बच्ची की यह अरदास हमें न जाने कितने बड़े कटघरे में खड़ा कर देती है। सकारात्मक सोचने वालों के लिए बहुत कुछ है। नकारात्मक सोच के लिए कुछ नहीं।बुलबुल की प्रार्थना ने हमारे लिए एक प्रश्न छोड़ा है- प्राथमिकता किसको और क्यों ?
— निशा नंदिनी भारतीय