कहानी

कोरोना काल कहानी संस्मरण – सेवा संकल्प

शिवानी ड्यूटी पर जाने से पहले अच्छी तरह अपने हाथों एवं पैरों को ढंक ली । चेहरे पर मास्क लगा कर अपने आपको पुरी तरह तैयार कर ली । गेट पर बढ़ते कदम पति एवं बच्चों की आवाज सुन कर कुछ पल को ठिठक गये ।

“मत जाओ माँ ; पता नहीं आपको पुनः देख पाऊँगी या नहीं ।”

“हाँ शिवानी बच्चे सही कह रहे हैं ; मत जाओ ।”

“जाना तो मुझे है ही, आज मुझे विधाता भी नहीं रोक सकते हैं । हमें हमारा फर्ज निभाने दें , वरना आनेवाली पीढ़ियाँ नर्सों पर भरोसा करना छोड़ देंगी ।”

“लेकिन माँ हम सब भी तो आपकी जिम्मेदारी हैं ।”

“हाँ आज तक तो बखूबी दोनों जिम्मेदारी मैं निभाती आई हूँ , अब हमें हमारे फर्ज निभाने दो ।”

पति बेबस हो पूछ बैठे ;कैसा फर्ज ?”

“पूरी इंसानियत कराह रही है, फिर मैं कैसे स्वार्थी बन जाऊँ ।

 भींगी पलकों से वह घर से  बाहर निकल पड़ी  ।  अलविदा …..ना ना माँ हुँ, हर हाल में दोनों फर्ज निभाना है ।

शिवानी घर से तो पति एवं बच्चों को  समझा कर निकल तो गई ,परंतु कोरोना की वज़ह से चाह कर भी इस बार नवरात्रि पूजन आरंभ नहीं कर पाई, यह सोच कर अक्सर मन अशांत हो जाता था ।

स्कूटी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती जा रही थी लेकिन दिमाग गाँव की गलियों में अम्मा के आँगन  में पहुँच गया ।

आधी रात में माँ से बात हुई थी , उनकी परेशानियों को सुनकर अपनी परेशानियाँ उसे हल्की नज़र आई ।

माँ कह रही थी:–

“बिटिया पहले तो बेमौसम आँधी पानी की वज़ह से खेत में ही फसलें खराब हो गई ।”

“रही सही कसर  कोरोना ने पूरी कर दी । जानती हो तोहरे बड़का भईया अबकी बार फूलों की खेती किये थे । सारे फूल खेतों में ही झड़ रहे हैं ,कोई भी फूलों का खरीददार नहीं आया । दुर्गा माँ की पूजा में भी भय का माहौल है ।”

“सरसों की बालियाँ तो खेत में ही झड़ गई , गेंहूँ और मक्के से थोड़ी आस थी परंतु कोई भी मजदूर खेत काटने जाने को तैयार नहीं है ।”

“हाँ एक बात अच्छी जरूर हो रही है बिटिया गेंहूँ की बालियों को घर ले जाकर उन्हें पका कर कुछ बेबस मजदूरों के परिवार वालों की क्षुधा शाँत जरूर हो रही है । “

 अपनी ही सोच  में खोई खोई वह अस्पताल पहुँची ।

स्कूटी  पर प्यार से हाथ फिरा कर आगे बढ़ गई ।

ना जाने कब अब घर वापसी हो ।

अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड की ओर कदम बढ़ाने लगी , सामने मरीजों के वेटिंग लाउँज में टीवी चल रहा था ।

पल भर को ठिठक गई ; समाचार आ रहे थे :—अब अस्पतालों में कोरोना प्रभावित मरीजों को भोजन पानी एवं दवा पहुँचाने में रोबोट की मदद ली जा रही है। सुनकर वैज्ञानिकों को मन ही मन आभार व्यक्त करते हुए शिवानी ड्यूटी चाार्ट पढ़ने लगी ।

तभी वहाँ डॉक्टरों की टीम नज़र आई जो इशारे से उसे बुला रहे थे ।

चेहरे पर एन  95 मास्क होने की वज़ह से आवाजें स्पष्ट नहीं सुनाई दे रही थी । 

सबसे पहले डॉक्टर्स सेवाकर्मियों का रुटिन चेकअप किये फिर कई दिशा-निर्देश  देकर उन्हें रवाना किया गया ।

शिवानी को किसी धर्मशाला में मरीजों की  सेवा  के लिये भेजा जा रहा था । मन ही मन अपने भारतीय होने पर गर्व हुआ । 

दान-पुण्य एवं राष्ट्रधर्म निभाने में हमारे भारतीय संस्कृति बेमिसाल है । मात्र पाँच दिनों में आइसोलेशन वार्ड के लिए मंहगे से मंहगे होटल एवं धर्मशालाओं के मालिकों ने अपने होटल्स के कमरे सरकार को समर्पित कर दिये ।

हजारों कड़ोड़ की सहायता राशि कोरोना उन्मूलन के लिये बड़े -बड़े उद्योगपतियों एवं धार्मिक न्यासों की मदद से जमा हो गए ।

शिवानी के घर से लगातार फोन आ रहे थे । गुडिया की तबीयत खराब हो रही है ।किस डॉक्टर से दिखाना है , पति मैसेज कर पूछ रहे हैं । 

वह मैसेज के जवाब में चंद हिदायतें नमक एवं गरम  पानी से गरारे करने एवं तापमान पर लगातार ध्यान रखने को बोल मरीजों की सेवा में लग गई ।

कई दिनों तक उसने अपने घर परिवार की सुधि तक नहीं ली । 

उसने अपना फोन बंद कर रखा था , उसे अब हर चीज छूने में एवं इस्तेमाल करने में संक्रमण का भय महसूस होता था । 

इस बीच दो पल जब भी मरीजों से फुर्सत मिलती देश एवं दुनिया का हाल चाल जानने के लिए अस्पताल के टीवी स्क्रीन पर यूट्यूब एप्प कि मदद से खबरें फटाफट देख कर तसल्ली कर लेती थी ।

शिवानी आज कई दिनों बाद उसने अपने घर पर  पति एवं बेटी से बात करना चाही ,

मोबाइल  ऑन होते ही मैसेज एवं मिस्ड कॉल की लंबी लिस्ट दिखाई दी ।

खुद पर थोड़ी ग्लानी महसूस हुई ; क्या मानवता एवं मानवीय संवेनाएं हमारे अंदर या तो बहुत ज्यादा है या दिखावा है । कैसे मैं भूल गई कि मैं किसी की पत्नी किसी की माँ भी हुँ । 

झटपट उसने घर पर फोन लगाया–

 “हेलो भरत सॉरी मैं जहाँ थी वहाँ मोबाइल नेटवर्क बहुत कमजोर था , मुझे एक धर्मशाला में कोरेन्टाइन मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी मिली है ।”

“कोई बात नहीं शिवानी ,मैं समझ सकता हूँ । मैं भी तो  लॉक डाउन की वज़ह से घर में फंस गया हूँ । 

गलती तुम्हारी नहीं हमारी भी है , अचानक आई विपत्ति के लिए हम सब तैयार नहीं थे ।”

“बैंक से पैसे नहीं लाया था । पेटीएम मैं यूज नहीं करता था ,तुम्हारे मोबाइल के साथ-साथ हमारे मोबाइल की भी वैधता समाप्त हो गई थी आज कई दिनों बाद रिचार्ज करवा पाया हूँ ।”

शिवानी चैन की सांस लेते हुए भरत से बोली ; “जी मैं समझ सकती हूँ । कड़ोड़ों लोग संक्रमित हुए हैं , लाखों की मौत हुई है । कुछ ठीक भी हो रहे हैं ।”

“अच्छा , छोड़िये  कोरोना की बातें और बताइये आसपड़ोस एवं अपने बच्चे कैसे है ?”

“शिवानी मत पूछो ! अब तो लोग अपने साये से भी डरने लगे हैं । जहां महामारी से सुरक्षा एवं बचाव के लिये सैकड़ों दिशानिर्देश जारी किये जा रहे हैं , वहीं वैश्विक मंदी की ओर विकसित देशों का ध्यान तो गया है । लेकिन हमारा देश कृषि प्रधान देश है । फसलें खेतों में बर्बाद हो रही हैं । सरकार का इस ओर ध्यान क्यों नहीं अब तक गया है समझ में नहीं आ रहा है ।”

“अजी आप कहाँ की बातें लेकर बैठ गए हैं  ? छोड़िये अपनी बात बच्चों की  बातें बतावें । “

“शिवानी तुम आनेवाले खतरे को समझ नहीं रही हो !  हम कोरोना का जंग भले ही देर सबेर जीत जायें , भविष्य में खाद्यान्न की कमी से जो हालात उत्पन्न होंगे । इस ओर सरकार का ध्यान क्यों जा रहा है ? 

हो सकता है , हमारी नौकरी भी चली जाये । एम एन सी वालों का तो बुरा हाल है ।”

“ओह नो ! शुभ शुभ बोलिये । अच्छा ज़रा गुड्डू से एवं गुड़िया से बात करा दें ।”

“हेलो मम्मा हमलोग बिल्कुल ठीक हैं , हमलोग एक दूसरे का खूब ख्याल रखते हैं , आप बस अपना ख्याल रखिये । हमें हमारी मम्मा हंसती मुस्कूराती वापस चाहिये ।”

“हाँ मेरे बच्चे जरूर ; हम सभी स्वास्थ्य कर्मी अपना खूब ख्याल रखते हैं । जबसे सुना है कि कई डॉक्टर एवं नर्स भी चपेट में आ रहे हैं । हम सरकार से अपनी सुरक्षा के लिए लगातार मांग करते हैं । समय समय पर ।”

 पूरे विश्व में त्राहि त्राहि मची है  ।  महामारी देश जाति या वर्ण व्यवस्था को धता कर बस फैलती ही जा रही थी । अब शिवानी को  मानसिक थकान होने लगी थी । चहुँओर हाहाकर , कुछ खास वर्ग इलाज एवं बचाव में डॉक्टरों एवं पुलिस वालों पर पथराव यदा कदा करने लगते थे । 

स्थानीय प्रशासन किसी तरह हालात को काबू कर पुनः उन्हें इलाज एवं बचाव के नियमों को समझाने में कभी सफल कभी असफल हो जाते थे ।

लॉक डाउध की तिथि फिर से बढ़ा दी गई । बार पहले की अपेक्षा कुछ नरमी बरती गई । कुछ धार्मिक यात्रियों को एक राज्य से दूसरे राज्य तक भेजने में स्थानीय राज्य सरकारें पहल करने लगी ।

किसानों को रबी फसल की कटाई  एवं कृषि उपकरणों की खरीद बिक्री में सहूलियतें मिलने लगी ।

महामारी से संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा था ।

कई इलाके सील किये गये । सरकार एवं स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से जगह जगह फंसे भूखे बेबस मजदूरों को भोजन मुहैया कराया जाने लगा ।

इस सबके बावजूद दहशत थमने का नाम नहीं ले रहा था । 

काश विकास के नाम पर विकसित देशों की यात्रा हम अत्यंत जरूरी होने पर ही करते तो आज यूँ पूरे विश्व को जन-गण-धन की भयंकर क्षति नहीं उठानी पड़ती । 

लगभग चालीस दिनों बाद शिवानी घर वापस लौटी थी । घर आते ही सबसे पहले अपने सारे वस्त्र बाहर ही खोल दी घड़ी ,पर्स एवं जूतों को सैनेटाइज कर स्वयं स्नान कर बिस्तर पर जाने लगी , बच्चे जो इतने दिन से माँ की कमी महसूस कर रहे थे उन्होंने अपने-अपने फरमाइशों की झड़ी लगा दी —

“माँ बहुत दिन हो गए, बढ़िया भोजन किये हुए, पापा तो बस दूध दलिया या दाल चावल ही खिला रहें हैं पिछले दो महीने से । आज कुछ मीठा बनाइये ना ।”

बच्चों के प्यार से अभिभुत हो शिवानी झटपट रसोईघर की ओर चल दी । छोले भटुरे एवं बुंदी के लड्डू बना डाली ।

पति की आँखें भी स्वादिष्ट भोजन की थाली देख कर नम हो गई।

परिवार की ताकत एवं स्त्री अन्नपूर्णा क्यों कहलाती है अब  समझ गये थे ।

खाना-पीना खत्म कर सभी टीवी देखने लगे । 

तभी गुडडू पूछने लगा —

“माँ और पापा आप दोनों बतावें हम सब इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा कब दुखी हुए ? एवं सबसे ज्यादा खुशी हमें कब मिली ?”

एक साथ सब बोल उठे–गरीबों की विवशताओं को देखकर अक्सर आँखें नम हो जाती थीं  । वहीं दूसरी ओर जब-जब किसी पुलिसकर्मियों को देवदूत बनकर मानव सेवा में तत्पर देखते हैं तो खुशी भी मिलती है । 

गुड़िया बोल पड़ी –“अरे वाह ये क्या बात हुई ? हमें तो सबसे ज्यादा खुशी तब मिलती है ,जब डॉक्टर्स मरीजों की सेवा में दिन-रात एक कर जान बचाते हैं। असली हीरो तो पुलिस एवं डॉक्टर ही हैं ।”

— आरती रॉय

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - [email protected]