मटरगश्ती करती 3 कविताएँ
मटरगश्ती करती कुछ कविताएँ…..
1.
झोलाछाप डॉक्टर
मुम्बई में नहीं रहता !
रूरल एरिया का
झोला छाप डॉक्टर हूँ,
गोकि
स्पेशियलिस्ट नहीं हुआ जा सकता !
इसीलिए जेनरल फिजिसियन ही हूँ…
फेसबुक तो आनंद का प्लेटफॉर्म है,
यहीं से रोगी को ढूढ़ता हूँ
और झोले में भर
नोटों को ले जाता हूँ,
क्योंकि फेसबुकिया रोग तो
ताउम्र चस्पने वाला है,
भागनेवाला नहीं !
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2.
मित्र सप्तमी
आज मित्र सप्तमी है
तो
सभी तरह के
यानी
दिलवाले,
दिलजले,
दिलजलाये
मित्रो को शुभकामनाएं
एतदर्थ !
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3.
‘स’ वर्ण स्वाहा !
सरकार….
सार्थक,
सकर्मक,
सुंदर,
सुभर,
सुभट,
सुघर,
सुशील,
सुमधुर,
सुसज्जित,
स्वानंद,
सौम्य,
सुमुख,
संस्कारित,
सुकोमल,
सानंद,
शालीन,
सरस,
सरल,
सुधामृत,
स्वार्थरहित,
स्वस्थ,
सुमंगल,
शुभजीवन ।
सबको सादर स्वाहा !
स’वर्ण शुभचिन्तक-
सदानंद ।
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