गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल*

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ये सितारों का आना हुई बेखबर
रात भर जुगनू बन संवरती रही।

ये हवाओं का झोंका ठहरती नहीं
दिल की दरियां में आंसू छलकती रही।

ये झिलमिल सितारों की कैसी डगर
चांद तारों के साथ जगमगाती रही।

ये नदियों की धारा क्या कह रही
मिलकर सागर में सरिता समाती रही।

ये फूलों की बगियां महकती सदा
सारे भौरों का गुंजन लुभाती रही।
विजया लक्ष्मी

विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।