“मैं सोचता हूं…“
आज लिखने जैसा
कुछ भी नहीं
पर सोच है कि रुकती नहीं
मैं सोचता हूं…
लाचार, बीमार-
शब्द उभरता है जनता
मूर्ख, अधीर, बेकार —
शब्द उभरता है जनता
मैं सोचता हूं…
अवसर, चालाक —
शब्द उभरता है धंधा
मैं सोचता हूं….
होशियार, समझदार, व्यापार
शब्द उभरता है सरकार