कविता

“मैं सोचता हूं…“

आज लिखने जैसा
कुछ भी नहीं
पर सोच है कि रुकती नहीं

मैं सोचता हूं…
लाचार, बीमार-
शब्द उभरता है जनता

मूर्ख, अधीर, बेकार —
शब्द उभरता है जनता

मैं सोचता हूं…
अवसर, चालाक —
शब्द उभरता है धंधा

मैं सोचता हूं….
होशियार, समझदार, व्यापार
शब्द उभरता है सरकार

राजेश सिंह

पिता. :श्री राम चंद्र सिंह जन्म तिथि. :०३ जुलाई १९७५ शिक्षा. :एमबीए(विपणन) वर्तमान पता. : फ्लैट नं: ऐ/303, गौतम अपार्टमेंट रहेजा टाउनशिप, मलाड (पूर्व) मुंबई-400097. व्यवसाय. : मुख्य प्रबंधक, राष्ट्रीयकृत बैंक, मुंबई मोबाइल. :09833775798/08369310727 ईमेल. :raj444singhgkp@gmail.com