कविता

मन में राम राज्य

मन के दशरथ को संभाल ले !
दिख जाए जिस दिन सफेदी ठान ले !
तन के दशरथ की लगाम बांध लें !
यज्ञ करके इच्छाओं का जोग साध ले!
ज्ञान और कर्म के साथ मिला के मन,
सौंप दे स्वयं को दशरथ गुरु चरन!
राम आएंगे सफल हो जाओगे !
समय से यदि सुफल हो पाओगे!
यदि कल पर फिर कुछ टाल दोगे !
बनवास फिर चौदह साल लोगे !
फिर  वियोग में राम के जाना होगा!
ना जाने फिर कब यहां आना होगा !
समय पर सौंप सत्ता राम को दशरथ ,
ऐ सुनी अपने मन में बना रामराज रख!!

— सुनीता द्विवेदी

सुनीता द्विवेदी

होम मेकर हूं हिन्दी व आंग्ल विषय में परास्नातक हूं बी.एड हूं कविताएं लिखने का शौक है रहस्यवादी काव्य में दिलचस्पी है मुझे किताबें पढ़ना और घूमने का शौक है पिता का नाम : सुरेश कुमार शुक्ला जिला : कानपुर प्रदेश : उत्तर प्रदेश