मुक्तक/दोहा मुक्तक डॉ. अ. कीर्तिवर्द्धन 31/05/2020 है रूप दुर्गा का, रूप है ये काली का, दमकता मुख, मृगनयन मतवाली का। माँ की ममता है, प्रेयसी का प्यार भी, विलक्षण तेज, वीरांगना निराली का। — अ कीर्ति वर्द्धन