राष्ट्र में निहित प्रतिबद्धता
न मैं वामपंथी हूँ ! न मैं दक्षिणपंथी हूँ ! न भाजपाई, न कांग्रेसी, न ABVP के सदस्य, न NSUI के सदस्य, न आजसू के सदस्य हूँ ! न मैं अन्य दलों के कार्यकर्त्ता हूँ ! मैं तो NOTA में वोट डालता हूँ, पर जो दल या सरकार बढ़िया काम करते हैं, उनका बड़ाई जरूर करता हूँ, पर सबसे बड़ी बात है कि इन सबसे अलग मैं एक भारतीय हूँ और मुझे गर्व है मेरे भारतीय होने पर ।
हर लोगों की देशभक्ति प्रकट करने के अलग-अलग तरीके है,कुछ लोग इसे ‘शो ऑफ’ करते हैं और कुछ नहीं ! जो लोग ‘शो ऑफ’ नहीं करते, इसका मतलब यह नहीं है कि वे देशभक्त नहीं हैं, शायद वे ‘शो ऑफ’ करने वालों से भी ज्यादा देशभक्त हैं, लेकिन देशभक्ति मापने का कोई यंत्र अभी तक नहीं बन पाया हैं,ठीक उसी तरह जैसे दुनिया के हर इंस्टिट्यूट अपने आप को नंबर-1 कहते हैं, लेकिन नम्बर-1 मापने का कोई तरीका नहीं हैं ।
जब से सोशल मीडिया की शुरुआत हुई है, लोग प्रमुख मामले को नज़रअंदाज़ कर आलतू-फालतू मामले पर ज्यादा ही फोकस करते हैं और देशभक्ति दिखाने के चक्कर में देशद्रोही कार्य करने लग जाते हैं ।
आजकल ‘देशभक्ति’ और ‘स्वतंत्रता’ को लेकर नयी संस्कृति पनप रही हैं, जैसे- किसतरह से एक कॉलेज प्रबंधन ने ‘राष्ट्रद्रोह’ में लिप्त व्यक्ति को निमंत्रण देकर ‘प्रतिशोध की संस्कृति’ पर भाषण देने बुलाया ?
लोगों द्वारा ‘संस्कृति’ का बचाव सही है, लेकिन हिंसा से नहीं, लेकिन देश की अखण्डता और अक्षुण्णता को क्षति पहुँचाने वाले कारक को यूँ ही छोड़ा नहीं जा सकता, जो की कल नासूर बन जाएंगे ।