गंगा मां के विभिन्न नाम
भागीरथ के तप का प्रतिफल,
*जटाशंकरी* कहलाई *शिवाया*।
जहृनु ऋषि की पुत्री *जाह्नवी* ने,
*देवनदी* का रुप अपनाया।।
*उत्तरवाहिनी* ने करके कल-कल,
जड़ी-बूटियों का अमृत बिखराया ।
*देवनदी* का पहन के चोला,
*मंदाकिनी* ने भूमि पर धन उपजाया।।
*मुख्या* की निर्मल – अविरल धारा ने,
मानव को दुष्कृत्यों से मुक्त कराया।
*मुक्तिदायिनी* है पावन *गंगा*
जनकल्याण करना इसने ही सिखाया ।।
अंजु गुप्ता