गीत/नवगीत

मुसीबत से मुक्ति

निकालो कोई उपाय, सुझाओ कोई युक्ति!
दिला दो हे भगवन!, अब मुसीबत से मुक्ति।।

ज़िन्दगी का सफर ये, पथरीला बड़ा है
हर कदम-कदम पर, एक पहाड़ खड़ा है
पर क्या पहाड़ो से कभी कोई नदिया है रुकती!
दिला दो हे भगवन!, अब मुसीबत से मुक्ति।।

भविष्य की भी चिंता, अतीत का अंधेरा
इनसे ही घिरा हुआ है पूर्ण वर्तमान मेरा
ऐसे वर्तमान से कैसे होगी स्वतंत्र अभिव्यक्ति!
दिला दो हे भगवन!, अब मुसीबत से मुक्ति।।

सब साथ उसके जिसका शीर्ष पर हो सूरज
समय साथ न दे तो लगे अक्लमंद भी मूरख
ऐसे समय पर प्राणी की रग-रग है दुखती!
दिला दो हे भगवन!, अब मुसीबत से मुक्ति।।

मुसीबत का अंत कैसे होगा मेरे भगवन
राही की तपती हुई राह जैसे लगे तपोवन
गाऊं आपका भजन या गाऊं मैं कोई सूक्ति!
दिला दो हे भगवन!, अब मुसीबत से मुक्ति।।

सोनल ओमर

कानपुर, उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य की विद्यार्थी एवं स्वतंत्र लेखन sonal.omar06@gmail.com