लघुकथा

लघुकथा – खुदकुशी

कवियत्री जी की पुस्तक जिसका शीर्षक ‘खुदकुशी’ है, का पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम चल रहा होता है। तभी उनसे एक पत्रकार प्रश्न पूछता है, “कवियत्री जी! आप कविताएँ क्यों लिखती हो….?”

कवियत्री जी कुछ क्षण मौन रहने के बाद मुस्कुराई… कवियत्री जी की मुस्कान में फीकेपन तथा कृत्रिमपन के साथ एक कटाक्ष भी था। कवियत्री जी ने उसी मुस्कान के साथ कहा, “ख़ुदकुशी टालने के सबके अपने अलग-अलग तरीके होते हैं…!”

पत्रकार तथा अन्य स्रोतागण समझ नहीं पाये कि कवियत्री जी अपनी पुस्तक “खुदकुशी” का प्रचार कर रहीं हैं या वे अपने जीवन का यथार्थ व्यक्त कर रहीं थी। लेकिन सच तो केवल वही जान सका होगा जो उनकी मुस्कान का मतलब समझा होगा।

सोनल ओमर

कानपुर, उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य की विद्यार्थी एवं स्वतंत्र लेखन sonal.omar06@gmail.com