पर्यावरण की रक्षार्थ एक अभिनव प्रयोग
पर्यावरण सुधार और सम्पूर्ण मानव समाज के आधुनिक युग के उपहार, प्रदूषण से हो रही सम्पूर्ण मानव जाति के स्वास्थ्य की क्षतिपूर्ति में दिल्ली और केन्द्र सरकार दोनों का यह संयुक्त फैसला ऐतिहासिक रूप से मील की पत्थर साबित होगी। वैसे तो दिल्ली का सम्पूर्ण वातावरण और पर्यावरण ही मनुष्यों की अत्यधिक भीड़, फैक्ट्रियों से निकलने वाले विषाक्त धुएं, घातक रासायनिक कणों से युक्त धूल और असीमित पेट्रोल व डीजल चालित वाहनों के धुँए की वजह से भयंकर प्रदूषण से शापित होकर कराह रहा है, हाँफ रहा है, उसका दम घुट रहा है।
फिर भी मुगल सम्राट शाहजहां के बसाये गये प्राचीन, शाहजहाँनाबाद ( दिल्ली ) के मुख्य व्यापारिक बाजार चाँदनी चौक के डेढ़ किलोमीटर के अत्यधिक भीड़भाड़ वाले बाजार से,पेट्रोल और डीजल चालित वाहनों पर प्रतिबन्ध लगाकर,उसमें केवल केवल साईकिल, मानवचालित साईकिल रिक्शा,बैटरी रिक्शा और सामान पहुँचाने के लिए हाथ से चलने वाले ठेले ही चलाने की अनुमति प्रदान करने का, दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार का यह फैसला एक बहुत अच्छा निर्णय है। इस एक अच्छे निर्णय की शुरुआत से दम घुटती, गैस चैंबर बनी, दिल्ली के लोगों और पर्यावरण सुधार के लिए उठाए गये कदमों में यह कदम भारत में ऐतिहासिक रूप से मील की पत्थर साबित होगी। इसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है।
निश्चित रूप से मात्र इस कदम से दिन में भयंकर जाम और बिषाक्त गैसों से 90 प्रतिशत तक लोगों को फौरी राहत मिल जायेगी। इसके बाद दिल्ली की दोनों सरकारों को इस योजना को अन्य अत्यधिक भीड़भाड़ वाले बाजारों में यह योजना शिघ्रातिशीघ्र लागू कर देना चाहिए, इस योजना को भारत में सभी उन भयंकर प्रदूषण के मामले में विश्व में कुख्यात हो रहे सभी शहरों में ये योजना लागू करना चाहिए। हम सभी भारतीयों को इस धारणा को अब अपने देश, समाज, मनुष्य के स्वास्थ्य, उसके भावी जीवन, पर्यावरण, प्रकृति को ध्यान में रखकर अब उस मानसिकता को बदलनी चाहिए, जिसमें पेट्रोल या डीजल चालित बड़ी गाड़ी होना सामाजिक रूतबे की प्रतीक मान ली गई है, यूरोप के कई प्रगतिशील देश, अमेरिका, जापान, चीन तक वैज्ञानिक सोच और ऐश्वर्य में हमारे से बहुत आगे हैं, फिर भी अपने देश के लोगों की भलाई के लिए, अपना पर्यावरण शुद्ध रखने के लिए, अपने समाज के अच्छे स्वास्थ्य के लिए, अरबों-खरबों रूपये बिमारियों से बचने के लिए अधिकाधिक सायिकिलों, बैट्रीचालित वाहनों, सौर बैट्री युक्त कारों, यहाँ तक कि यूरोप के बहुत से देशों में वहाँ की आधुनिक चमचमाती सड़कों पर बढ़िया ढंग से सज्जित घोड़ागाड़ियाँ भी चलती दिखतीं हैं। वे लोग ये सब अकारण और बौद्धिक विलाश की वजह से नहीं कर रहे, अपितु वे लोग अपने देश को साफसुथरा और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए ये सावधानियां और उपाय कर रहे हैं।
हमें भी उन लोगों से सबक लेना चाहिए और प्रदूषण के सबसे प्रदूषित बीस शहरों में पन्द्रह भारतीय शहरों के नाम होने को कलंक की तरह देखना और सोचना चाहिए और उसके समाधान हेतु हम सभी भारतीय लोगों को स्वयं व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेकर इस अच्छे निर्णय में अपनी सहभागिता अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए।
— निर्मल कुमार शर्मा