ग़ज़ल
सब तन्हा इस धरा पर, संग जाता कौन है ?
कौन जाने स्वर्ग से भी साथ आया कौन है ?
खोज में है संत साधू किस धरा पर स्वर्ग है
भाँग पीते हाथ मलते स्वर्ग पाया कौन है ?
सार सब ग्रंथों का’ इक ईश्वर नहीं है दूसरा
किन्तु दावा कौन करता, धर्म अच्छा कौन है ?
धर्म में विद्वेष है, हर मज़हबी का दावा’ है
धर्म उसका श्रेष्ट है पर,श्रेष्ट सच्चा कौन है ?
एक है बाज़ार यह संसार, बिकता सब यहाँ
अब पता करना ज़रा, ईमान बेचा कौन है ?
न्याय या अन्याय, सब कुछ चल रहा है आज तक
फ़क्त सबसे न्याय हो, अब न्याय सोचा कौन है ?
जो मिले खाओ, कभी नखरे न ‘काली’ तुम करो
मुफलिसों में दूध रबड़ी, नित्य खाता कौन है ?
कालीपद ‘प्रसाद’