ग़ज़ल
मुफलिस भी है इंसान, *लयान मांगता है * सुख, चैन
छोटा बड़ा सभी अब सम्मान मांगता है |
काम करो भूला दो, वो था पूर्व जमाना
आज का सभी जवान पहचान मांगता है |
शूरवीर लड़ते, करते सीमा की रक्षा
सरहद पर तैनात जवां जान मांगता है |
प्रचंड पाखंडी है, कपटी है,नेता सब
नेता से देश अभी ईमान मांगता है |
धनवान लोग रहते सुंदर सी कोठी में
गरीब भी सस्ता सजा मकान मांगता है |
एक हाथ ले और हाथ दे, यह लोकतंत्र
वोटर भी अब वोट का’ भुगतान मांगता है |
बेपरवाह नहीं है ‘काली’ सजग नहीं है
देश आज जनता से कुर्बान मांगता है
लयान = सुख ,चैन
कालीपद प्रसाद’