आया आषाढ़
ऋतु अााईआषाढ की
छाए कजरारे कजरारे बदरा
भीगी भीगी है ऋतु
मन हुआ मयूर सा
गिरते पानी में
करे छपक छपक
नाचे मगन
तिक ता धीगी धीगी
तिक ता धीगी धीगी
तन भिगोए मन भिगोए
पेड़ों पे पड़ गए झूले
सखियां झूले
करें चुहलबाज़ी
परदेश गए
बालम का करें इंतजार
मन डोले मयूर बन
नाचें थिरक थिरक
नाचें थिरक थिरक
ए जी देखो
आयो आषाढ
*ब्रजेश*