गीतिका/ग़ज़ल

मजदूर–( गीतिका )

जख्म दिया है दवा भी दे दो ,
उनके हक की हवा भी दे दो।

आटा चावल संग सेवक जी ,
एक पुराना तवा भी दे दो।

चलते चलते हुए हैं छाले ,
पैरों खातिर दवा भी दे दो।

मांग रहा मजदूर बेचारा ,
गाँवों वाली हवा भी दे दो।

गांव जाने को सब व्याकुल हैं ,
वादा प्यारा नवा भी दे दो।

रोटी तो मिल रहा है उनको ,
थोड़ा हलवा रवा भी दे दो।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

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