अमृत फल बेल
एक कहावत है- ‘चैत चना बैसाखे बेल, जेठे शयन असाढ़े खेल’ अर्थात् चैत्र के महीने में चने का सेवन करना चाहिए और वैसाख के महीने में बेल का, ज्येष्ठ के महीने में सोना चाहिए और आषाढ़ में खेलना चाहिए। यहाँ जिस बेल का उल्लेख किया गया है, वह हमारा जाना पहचाना बेल फल है, जिसके पत्ते श्रावण के महीने में शिवजी को चढ़ाये जाते हैं। शिव जी को यह फल बहुत प्रिय था, शायद इसलिए ऐसा किया जाता है।
वास्तव में बेल एक ऐसा वृक्ष है, जिसके फल ही नहीं, पत्ते, डालें, छाल, तने और जड़ तक किसी न किसी रोग की औषधि होती हैं या अन्य प्रकार से उपयोगी हैं। ऐसे वृक्ष बहुत कम होते हैं। बेल में टैनिन, कैल्शियम, फास्फॉरस, फाइबर, प्रोटीन और आयरन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होते हैं। बेल फल के सेवन से कब्ज, बवासीर, डायरिया जैसी समस्याओं को कम किया जा सकता है।
बेल में फफूँदरोधक (एंटी-फंगल) और परजीवी कीटाणु रोधी (एंटी-पैरासाइट) गुण होते हैं, जो कि पाचन तंत्र के लिए लाभकारी होते हैं। बेल में रेचक गुण भी पाए जाते हैं, जिससे मल निष्कासन सरलता से और अच्छी तरह होता है। इसके सेवन से कब्ज, पेट दर्द और अपच जैसी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। बेल विटामिन सी का अच्छा स्त्रोत है। विटामिन सी की कमी के कारण लोग स्कर्वी रोग से ग्रस्त हो जाते हैं, इसके कारण पाचन क्रिया पर भी असर पड़ता है। बेल के सेवन से इसको दूर किया जा सकता है।
वास्तव में पके हुए बेल फल का गूदा एक प्रकार से पूर्णतः पचा हुआ भोजन है। इसके दो अर्थ हैं- एक, इसको पचाने में हमारे पाचन तंत्र को अधिक प्रयास नहीं करना पड़ता। इससे हमारा पाचन तंत्र सही हो जाता है। दो, इसका लगभग सारा का सारा भाग हमारे शरीर द्वारा शोषित कर लिया जाता है। इससे बहुत कम मल बनता है, इस कारण मल निष्कासन तंत्र को भी विश्राम मिल जाने से लाभ होता है। जिनका पेट प्रायः खराब रहता है, उनको बेल का सेवन नियमित रूप से तब तक करना चाहिए जब तक यह बाजार में ताजा उपलब्ध रहे।
यों तो बेल का सेवन कई प्रकार से किया जा सकता है, लेकिन सबसे अच्छा रहता है इसको पूर्णतः प्राकृतिक रूप में खाना। प्राकृतिक रूप से पका हुआ बेल किसी पत्थर पर धीरे से मार-मारकर बीच में से तोड़ लीजिए। फिर इसके एक भाग में से किसी चम्मच से गूदा निकालते हुए खाइए। जो बीज मुँह में आयें उनको थूकते जाइए। लगभग 100 ग्राम गूदा खाने पर ही ऐसा लगता है कि पेट पूरी तरह भर गया है। इसे खाली पेट खाना सबसे अच्छा है और इसे खाने के बाद कम से कम एक घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए। प्यास लगने पर पानी पिया जा सकता है।
बेल को अमृत फल कहा जाता है। प्राचीन काल में जंगलों में रहने वाले हमारे ऋषि-मुनि बेल का बहुत सेवन करते थे और इससे उनको शरीर के लिए आवश्यक लगभग सभी पौष्टिक पदार्थ प्राप्त हो जाते थे। इसके विलक्षण लाभों का अनुभव स्वयं सेवन करने पर ही किया जा सकता है।
— डॉ विजय कुमार सिंघल