गीतिका
नदियों में वो धार कहाँ से लाऊँ
राधा जैसा प्यार कहाँ से लाऊँ
कैसे कैसे मिलती मन की मंजिल
आँगन में परिवार कहाँ से लाऊँ।।
सबका घर है मंदिर कहते सारे
मंदिर में करतार कहाँ से लाऊँ।।
छूना है आकाश सभी को पल में
चेतक सी रफ्तार कहाँ से लाऊँ।।
सपने सुंदर आँखों में आ जाते
सचमुच का दीदार कहाँ से लाऊँ।।
संकेतों की भाषा दिल ही जाने
फूलों का संसार कहाँ से लाऊँ।।
गौतम अपने हाल में जीती है दुनियाँ
जीवन का उपहार कहाँ से लाऊँ।।
— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी