परमेश्वर की संतान !
सर्व सिद्धांत व नियम का , पालन किया यीशु ,
तू पिता , परमेश्वर के पूत , मैं तेरा शिशु ।
यीशु है प्रभु , पिता ,पूत , नीति – रीति, युद्ध – शान्ति है,
गाँधी औ’ मार्क्स – विचार ही, महाबुद्ध – क्रान्ति है ।
मठ – मस्ज़िद या श्री गिरजा में, न रहता मेरा यीशु ,
तू पिता , परमेश्वर के पूत , मैं तेरा शिशु ।
यीशु के लीक पर , या लीक में संत मेंहीं है ,
जगत मिथ्या औ’ वर्तमान भी , पर ब्रह्म सही है ।
धन गया , धर्म गया या सबकुछ जाते रहा है ,
आदि का अंत होना , यही तो गुण – धरा है ।
कर्म का मर्म लिए धर्म का संगम अनूठा है ,
सत्यम् वद , पर अविश्वास – कारण झूठा है ।
मुझे तारण भी , दुलारन भी , करते हैं यीशु ,
तू पिता , परमेश्वर के पूत , मैं तेरा शिशु ।