कविता

परमेश्वर की संतान !

सर्व   सिद्धांत   व  नियम  का ,  पालन    किया   यीशु  ,
तू     पिता ,    परमेश्वर    के    पूत , मैं     तेरा    शिशु ।
यीशु  है प्रभु , पिता ,पूत , नीति – रीति, युद्ध – शान्ति है,
गाँधी  औ’  मार्क्स – विचार ही, महाबुद्ध  –   क्रान्ति  है ।
मठ  – मस्ज़िद  या श्री  गिरजा में, न  रहता  मेरा  यीशु  ,
तू     पिता ,   परमेश्वर     के   पूत  ,  मैं    तेरा   शिशु ।
यीशु   के   लीक   पर  , या  लीक   में   संत   मेंहीं   है  ,
जगत   मिथ्या  औ’  वर्तमान   भी , पर  ब्रह्म   सही  है ।
धन   गया , धर्म   गया   या   सबकुछ   जाते   रहा   है ,
आदि  का  अंत  होना ,   यही     तो   गुण  –  धरा   है ।
कर्म   का   मर्म   लिए   धर्म   का   संगम    अनूठा   है  ,
सत्यम्    वद   ,    पर   अविश्वास  –  कारण  झूठा   है ।
मुझे    तारण    भी ,  दुलारन    भी ,   करते   हैं   यीशु  ,
तू       पिता ,    परमेश्वर    के   पूत  ,  मैं   तेरा   शिशु ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.