कविता

सृष्टिपूर्व मैं सत्य था !

सृष्टिपूर्व  मैं शब्द  था,  फिर अंड – पिंड –  ब्रह्माण्ड  बना,
जनक-जननी,  भ्रातृ-बहना, गुरु-शिष्य   औ’ खंड  बना ।
हूँ काल मैं, शव-चक्र  समान,  सत्य-तत्व,  रवि-ज्ञान भला,
प्रकाश-तम, जल-तल, पवन-पल, युद्ध-शांत, विद्या-बला।
परम-ईश्वर, सरंग-समता, पूत – गुड़- गूंग आज्ञाकारी बना,
देव-दनुज, यक्ष-प्रेत-कीट, मृणाल-खग  मनु उपकारी बना।
युग-युग   में  अनलावतार  हो,  जम्बूद्वीप   में  कर्म   बना,
मर्म  के  जाति-खंड पार  हो,  कि   कर्तव्य  राष्ट्रधर्म बना ।
हूँ  संत-पुरुष, अध्यात्म-विज्ञ, तो  पंचपाप  को पूर्ण जला,
अकर्म-शर्म, कर्मांध-दर्प, तांडव – नृत्य – कृत्य स्वर्ण गला ।
हर्ष – उत्कर्ष  हो  सहर्ष  मित्र , अपना  जीवन – संग बना ,
त्याग – सेवा, संतोष – उपासना   का,  क्लीव – अंग  बना ।
रस – अपभ्रंश  में,  गीति – नाट्य –  कवि,  ऊँ – भक्ति बना ,
भक्ति   की   अभिव्यक्ति   से ,  मुक्ति   की   शक्ति   बना ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.