वक्त
अतीत के दरबार में
अक्सर,,,
सब खोजते है
वर्तमान।
कुछ पुरानी यादें,
कुछ धूल से सनी तस्वीरें,
कुछ बिखरे – ठहरे से
“सजीव” लम्हें
जो बन न सके तकदीरें
तन्हाई में अक्सर याद
सबको आते हैं
बीते हुए वो लम्हें।
काश !!!
समेट पाते वक्त को
अंजुरी में भर के हम
हाँ ! वक्त,,,
बहता पानी है
जो हाथों में न समा पता है
और देखते देखते ही
जो मुठ्ठी से यह बह जाता है
देता है यह संदेश हमें
“न टालो कल पर बात” क्योंकि
हर पल के संग,,,
वक्त गुजर जाता है
और…
लौट कर न आता है
अंजू गुप्ता