छोड़ दिया।
दिल के सब दरवाजे तोड़े आना जाना छोड़ दिया।
हँसने से भी डर लगता है तो मुस्काना छोड़ दिया।।
जिसको जग में मान खुदा लो तन मन भी ग़र सौंप दिया,
उसने ही तो सब कुछ छीना साथ निभाना छोड़ दिया।
जिस डाली पर फूल खिले हों उसको ही सब नोच रहे,
गुलशन ने भी डर के मारे फूल खिलाना छोड़ दिया।
जख्मों की क्या बात करे वो मरहम ही जब बचा नहीं,
दर्दों को भी सह लेता है जख्म दिखाना छोड़ दिया।
झूठी मूठी बातों से जो खत पर इक था पता लिखा,
उसको ही सच मान गया वो नया ठिकाना छोड़ दिया।