पद्म अवार्ड और नेशनल अवार्डों की संख्या बढ़नी चाहिए !
माननीय प्रधानमंत्री महोदय से निवेदन है कि भारत की आबादी अब तो एक सौ तीस करोड़ से ऊपर है, जब आपने प्रधानमंत्री का कार्यभार सँभाले थे, तब देश की आबादी एक सौ पच्चीस करोड़ थे ! किन्तु मेरा प्रश्न अब भी यथावत है, केंद्र में कोई भी सरकार रही हो, वो प्रतिभाशाली भारतीयों के पक्ष में दिख नहीं रही है ! माननीय प्रधानमंत्री जी भी ‘मन की बात’ में ‘पॉजिटिव इंडिया’ और ‘बेटर इंडिया’ की बात करते हैं, किन्तु प्रथम ‘पद्म सम्मान’ से लेकर क्रमश: केंद्र में कांग्रेस, जनता पार्टी, संयुक्त मोर्चा, संप्रग, राजग व भाजपा की सरकार रही है अथवा है, किन्तु अब भी प्रतिवर्ष दिए जानेवाले ‘पद्म श्री’ सहित पद्म अवार्डों की संख्या कमोबेश वही रही है। इतनी वृहद आबादी एक सौ तीस करोड़ और प्रत्येक वर्ष देश में एक सौ तीस विशुद्ध भारतीयों (विदेशी और भारतीय मूल को छोड़कर) को भी ‘पद्म श्री’ नहीं मिलते ! यह प्रतिभाशाली भारतीयों का अभाव कहेंगे या हतोत्साहन ! या तो पद्म अवार्ड की संख्या एक हजार से अधिक हो, ताकि प्रतिभाशाली भारतीयों का मूल्यांकन हो सके और जिनमें पैरवी हावी नहीं होनी चाहिए तथा यह चयन सिर्फ सीमित वीआईपी और पदधारक आईएएस अधिकारियों द्वारा तय नहीं होनी चाहिए !