हाटे-बाज़ारे एक्सप्रेस
तारीख 22 नवंबर 1999 को तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बनफूल की प्रसिद्ध कहानी ‘हाटे बजारे’ के नाम पर कटिहार से सियालदह (कोलकाता) के बीच उनकी एक कृति के नाम पर ‘हाटेबजारे एक्सप्रेस’ ट्रेन चलवाई थी। अब यह ट्रेन उसी नाम से सहरसा- सियालदह (कोलकाता) वाया कटिहार होकर चलती है। भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ मिलने के बावजूद बिहार सरकार, प. बंगाल सरकार, झारखंड सरकार द्वारा उचित सम्मान नहीं मिलने से उनके परिजन आहत हैं। उनकी जन्मस्थली व मनिहारीवासियों का कहना है कि ‘बनफूल’ के आवास डाकबंगला समीप (जहाँ अभी उनके भतीजे श्री उज्ज्वल मुखर्जी उर्फ़ मुकुल’दा रह रहे हैं) तथा मनिहारी पीएचसी समीप स्थल को ‘बनफूल जन्मस्थली’ के रूप में बिहार सरकार विकसित करें, तो स्मृति सँजोने के साथ -साथ यह पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित होगा ! अगर पद्म अवार्ड -प्रोटोकॉल के मानिंद भी सोची जाय, तो पद्मश्री प्राप्त करनेवाले फणीश्वरनाथ रेणु की बिहार सरकार पूजा करते हैं, किन्तु पद्मभूषण प्राप्त करनेवाले बनफूल की इतनी उपेक्षा क्यों ? मनिहारीवासी उनकी धरोहर को स्मारक व मेमोरियल के रूप में देखना चाहते हैं!