लघुकथा

सर्वोत्तम

सर्वोत्तम
अमित का मन कल से ही परेशान था।वह अतीत में हुई घटना में इस तरह खो गया था कि उसे समय का ध्यान ही नहीं रहा।पिता जी की आवाज ने उसे झकझोर कर रख दिया था।बेटा, तुम परेशान लग रहे हो।जी,पापा कल सुधीर मिल गया था।ओह,पापा हैरान हो उठे,क्या कह रहा था?
पापा, आपको तो पता ही है।उसने वार्षिक परीक्षा में मेरे साथ कितना बड़ा धोखा किया था।अपनी नकल की पर्ची मेरे पास फेक दी थी।उसी के कारण, कहते -कहते अमित की आँखे भर आईं।वह चाह कर भी आगे कुछ ना बोल सका।
अमित,बेटा तुम आज तक उस घटना की पीड़ा को महसूस कर रहे हो।तुम्हारे पास किस चीज की कमी है।अच्छा खासा बिज़नेस है,शहर की नामचीन हस्तियों में तुम्हारा गिना जाता है।सुधीर ने जो किया वह निश्चित तौर पर गलत था।इसलिए वह आजतक संघर्ष कर रहा है।पापा क्या मैं उसे क्षमा कर दू?बेटा,क्षमा करना अच्छा है,भूल जाना सर्वोत्तम है।पापा की सलाह ने उसके मन का बोझ हल्का कर दिया था।
राकेश कुमार तगाला
पानीपत(हरियाणा)
Whatsapp-7206316638
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राकेश कुमार तगाला

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