गीत/नवगीत

गीत – तुम बहू कहां से लाओगे

अगर नहीं रहेंगी बेटियां ही, तो तुम बहू कहां से लाओगे

एक पहिए से  नहीं चलती, यह गृहस्थी वाली गाड़ी भी
जितनी चाहत है बेटा की, उतनी ही आवश्यक लाडी भी
बेटियां दुनियां में ना आयेंगी, तो फिर वंश कैसे बढ़ाओगे
अगर नहीं रहेंगी बेटियां ही, तो तुम बहू कहां से लाओगे

सृष्टि का  आधार हैं बेटियां, बेटियों को मत समझो भार
बेटियों की  बदौलत ही कायम हैं, ये जीवन और संसार
जब नहीं बचेगी जननी ही, तो फिर जन्म कैसे ले पाओगे
अगर नहीं रहेंगी बेटियां ही, तो तुम बहू कहां से लाओगे

नारी है  घर की  लक्ष्मी, बिना नारी के  कैसा परिवार
नारी को  तुम कम ना आंको, ये है  दुर्गा का  अवतार
मत कुचलो इन कलियों को, तुम बगिया कैसे महकाओगे
अगर नहीं रहेंगी बेटियां ही, तो तुम बहू कहां से लाओगे

भांति-भांति के  अत्याचार,  और भांति-भांति  के  वार
बलात्कार  की  खबरों से, रोज  भरे रहते हैं  अखबार
दहेज की चिता पर बेटियों को, कब तक जलाते जाओगे
अगर नहीं रहेंगी बेटियां ही, तो तुम बहू कहां से लाओगे

महापाप है  भ्रूण-हत्या, यह बात  सभी को समझाना है
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, अभियान को सफल बनाना है
क्यों पाप के भागी बनते हो, ऊपर क्या मुंह दिखलाओगे
अगर नहीं रहेंगी बेटियां ही, तो तुम बहू कहां से लाओगे

बेटा  घर का चिराग है, तो  बेटी भी  घर का ईमान हैं
जहां पूजा होती नारी की, वो  घर भी  स्वर्ग समान हैं
‘राजस्थानी’ बेटियों का, आखिर कब तक मान घटाओगे
अगर नहीं रहेंगी बेटियां ही, तो तुम बहू कहां से लाओगे

— तुलसीराम राजस्थानी

तुलसीराम राजस्थानी

शिक्षा- बी.कॉम. 1986 @ पद- ब्रांड एम्बेसडर, स्वच्छ भारत मिशन @ संवाददाता- कुमावत क्षत्रिय मासिक पत्रिका @ कोषाध्यक्ष- श्री कुमावत समाज सामूहिक विवाह सिमिति,नावां @ संयोजक- नावां सोशियल सर्विस सोसाइटी @ लेखक व मंच संचालक- अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित व कवि-सम्मेलनों में भागीदारी @ पता- गणगौर स्टूडियो, नावां सिटी-341509 (जिला नागौर) राजास्थान @ मोबाइल- 9928249021 @ Email- [email protected]