गुरु
जीवन को ,
जो उत्कृष्ट बनाता हैं ।
मिट्टी को ,
जो छूकर मूर्तिमान कर जाता है ।
बाँध क्षितिज रेखाओं में,
नये आयाम बनाता हैं ।
जीवन को,
जो उत्कृष्ट बनाता हैं ।
ज्ञान को,
जो विज्ञान तक ले जाता है ।
विद्या के दीप से ,
ज्ञान की जोत जलाता है |
अंधविश्वास के ,
समंदर को चीर,
नवीन तर्क के ,
साहिल तक ले जाता है |
मानवता की पहचान से ,
जो परम ब्रह्म तक ले जाता है ।
सत्य -असत्य,
साकार को आकार कर जाता है ।
जीवन-मरण,
भेद-अभेद के भेद बताया हैं |
वह प्रकाश -पुंज ,
ईश्वर के बाद गुरु कहलाता हैं |
— प्रीति शर्मा “असीम ”