कविता

गुरु

जीवन को ,
जो  उत्कृष्ट बनाता हैं ।
मिट्टी को ,
जो छूकर मूर्तिमान कर जाता है ।
बाँध क्षितिज रेखाओं में,
नये आयाम बनाता हैं ।
जीवन को,
जो  उत्कृष्ट बनाता हैं ।
ज्ञान को,
जो विज्ञान तक ले जाता है ।
विद्या के दीप से ,
ज्ञान की  जोत जलाता है |
अंधविश्वास के  ,
समंदर को  चीर,
नवीन तर्क के ,
साहिल  तक ले जाता है |
मानवता  की पहचान  से ,
जो परम ब्रह्म तक ले जाता है ।
सत्य -असत्य,
साकार को आकार कर जाता है ।
जीवन-मरण,
भेद-अभेद के  भेद  बताया हैं |
वह प्रकाश -पुंज ,
ईश्वर  के बाद गुरु कहलाता हैं |
— प्रीति शर्मा “असीम ” 

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- [email protected]