6 जानदार पोलखोल कविताएँ
1.
नास्तिक टीचर
जो नास्तिक टीचर हैं,
उन्हें स्कूल की प्रार्थना से
सरोकार क्यों ?
वे क्यों भाग ले ?
क्यों चेतना-सत्र में
इसके प्रसार हेतु भाग ले ?
उनके लिए पढ़ाना आवश्यक है,
प्रार्थना में शामिल होना चाहिए !
2.
रुपये का पेलमपेल
नरक निगम
नरकपालिका
नरक पंचायत
नाले में जमे कीचड़,
सड़क पर बह रहे पानी !
रुपये का पेलमपेल,
फिर भी कुर्सी बची नहीं,
पर इहाँ बचाए है !
3.
जाति तोड़ो
शादी नहीं की है मैंने !
पर मेरे वंश-परिवार में
अंतरजातीय ही नहीं,
अंतरधार्मिक शादी भी हुई है !
जाति तोड़ो !
सर्वधर्म मिलाओ !
मानव को बचाने का
यही मात्र उपाय है !
4.
दूसरों की सुंदरता
लोग दूसरे की
सुंदरता को
अपनी नजरों से देखते हैं !
पर खुद की सुंदरता को
निर्जीव वस्तु ‘आईना’
के सहारे
सिर्फ़ निहार ही सकते हैं !
फिर ऐसी सुंदरता
किस काम की !
जो दूसरों के मोहताज रहे !
5.
नाजायज नेता !
हरबार दोगली नीति बननी ही है !
राजनीति में अगर सबकुछ जायज है,
तो स्कूलवाले मास्टर जी
नाजायज कैसे हो गए,
जो नेताओं को पैदा करते हैं ?
सभी माननीय
स्कूल नामक फैक्ट्री से ही पैदा हुए हैं !
6.
काले अंग्रेज या गोरे भारतीय
सत्ता !
किनके पास ?
काले अंग्रेज
या गोरे भारतीय के पास
या पेंडुलम के साथ !
निर्णायक तो जनता है
कि राष्ट्रकवि दिनकर जी-
सिंहासन खाली करो
कि जनता आती है !
बहुत-बहुत आभार, सर🙏
व्यंग रूप में आप की कविता बहुत अच्छी है.