सोचता क्या है…
सोचता क्या है, देखता क्या है ।
तय तो कर ले कि खो गया क्या है।।
जो भी हो जब कबूल करना है।
फ़र्क क्या है कि फैसला क्या है।।
चाल तूफान की बदलती नहीं।
रास्ता क्या है गुलसितां क्या है।।
सारी बस्ती धुँआ धुँआ करके।
पूछता है मेरा पता क्या है।।
फिर वो तिनका उठा के ले आई।
अब न कहना कि हौंसला क्या है।।
हाथ न यूँ बढ़ा मदद को ‘लहर’।
दुनिया पूछेगी वास्ता क्या है।।