गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

सोचता क्या है…

सोचता क्या है, देखता क्या है ।
तय तो कर ले कि खो गया क्या है।।

जो भी हो जब कबूल करना है।
फ़र्क क्या है कि फैसला क्या है।।

चाल तूफान की बदलती नहीं।
रास्ता क्या है गुलसितां क्या है।।

सारी बस्ती धुँआ धुँआ करके।
पूछता है मेरा पता क्या है।।

फिर वो तिनका उठा के ले आई।
अब न कहना कि हौंसला क्या है।।

हाथ न यूँ बढ़ा मदद को ‘लहर’।
दुनिया पूछेगी वास्ता क्या है।।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा