6 व्यक्तिपरक कविताएँ
1.
ताउम्र परीक्षा
ऐसे मित्र भी हैं,
जो इस प्रत्याशा में
परीक्षा में शामिल नहीं होते हैं
कि उनकी तैयारी पूरी नहीं हुई है !
..और शायद
ताउम्र होगी भी नहीं !
परीक्षा है अगर,
तो इसे देते रहना चाहिए,
पेपर लिखते रहना चाहिए !
इससे कम से कम
अभ्यास तो कायम होती है !
2.
इलेक्शन के बाद
महामारी जारी है….
हम घर से उतना ही
बाहर निकलें,
जितना कि नेता
‘इलेक्शन’ जीतने के बाद
घर से बाहर निकलते हैं !
क्यों कुछ गलत कहा ?
तो नाक पकड़ कर सॉरी !
3.
आरटीआई कर्म
लॉकडाउन में
आरटीआई कार्य
कुछ मंथर हो गयी थी,
परंतु डायरी में देखा-
अभी ‘सूचना आयोगों’ में
मेरे 122 आरटीआई केस पेंडिंग हैं !
यह आरटीआई आवेदन ही
मेरे माँ-बाप हैं !
4.
आदर्श गाँधी
यह ऐतिहासिक क्षेत्र
‘टीकापट्टी’
पूर्णिया और कटिहार
यानी दोनों जिले में फैले हैं !
यहाँ गाँधीजी आये थे
और गाँधीभक्तों की यहाँ
न केवल लम्बी फेहरिश्त है,
अपितु गाँधी के आदर्श में
जीवनदर्शन लिए हैं !
5.
बाढ़ के नीतीश कुमार
बिहार में महामारी और बाढ़,
फिर भी इहाँ
‘बाढ़’ के नीतीशे कुमार !
शायद यह स्लोगन बदल जाए
और यह कहा जाय-
बार-बार
नीतीशे कुमार !
क्या ठीक है ?
या झाकझिक है !
6.
दलाई लामा संदेश
प्रसन्नता यूँ ही नहीं आती,
खोजनी पड़ती है,
बनानी पड़ती है !
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने
कहा है–
‘खुशी पहले से तैयार नहीं मिलती !
ये हमें अपने कार्यों से ही बनानी पड़ती है !’