कविता

10 अतृप्त संवेदित कविताएँ

1.

रक्षा-सुरक्षा

खुद की रक्षा,
तभी औरों की सुरक्षा….
सावन की बारिशी प्रभात,
तभी रह पाएंगे-
शुक्र तात !
वाकई दिवस हो शुक्र-शुक्र,
तभी रह पाएंगे बेफिक्र !

2.

जड़ी-बूटी

जड़ी-बूटी से भी इलाज संभव है….
बशर्ते जड़ी-बूटी सही और सलामत हो !
ऐसी भी जड़ी है, बूटी है, बटी है,
जिनसे हम सभी ठीक हो सकते हैं,
खाने से भूख नहीं भी लग सकती है !
हिमालय की कंदराओं में
तपस्वियों द्वारा ऐसे ही आहार लिए जाते होंगे !
लम्बी आयु का राज जड़ी-बूटी भी है !
हम एलोपैथी की गोली खाकर तत्काल
सिर दर्द कोभगा देते हैं,
शरीर दर्द की जलन दूर कर देते हैं !
इनसे भी संभव है, हर कुछ
बशर्ते जड़ी-बूटी सही और सलामत हो !

3.

विकास दुबे

अबतक 56 गिनाएंगे !
विकास दुबे जैसों को
तब मार गिराएंगे,
जब वो उनके लिए नासूर हो !
आम लोगों के लिए तो
शुरू से ही नासूर थे वे !
विकास दुबे जैसों को
सफेदपोश नेता और वर्दीवाले पुलिस ही
आगे बढ़ाते हैं,
अन्यथा आम लोगों की क्या मजाल ?
क्या पुरसेहाल ?
क्या औकात ?
क्या बिसात ?

4.

पहर में कहर

बढ़ती जा रही है
शनै: शनैः
कोरोना पॉजिटिव !
यह कैसे रुके ?
किसी के पास नहीं है समाधान !
न भारत में, न संसार में !
न यहाँ है, न वहाँ है !
न खर में, न खम्भे में !
निदान कहीं नहीं,
नादान सभी !
बेखबर कहर,
पहर दो पहर !

5.

तीन गुरुओं की याद में

भारतरत्न सचिन तेंदुलकर ने
गुरु पूर्णिमा के सुअवसर पर
तीन गुरुओं की याद किये,
पहले प्रोफेसर पिता रमेश तेंदुलकर को,
दूसरे कोच रमाकांत अचरेकर को,
तीसरे बड़े भाई अजीत तेंदुलकर को ।
उनके क्रिकेट गुरु
और द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित
पद्मश्री रमाकांत विठ्ठल अचरेकर का जन्म
1932 को मालवण, बम्बई में हुआ था,
जिनकी मृत्यु लम्बी बीमारी के बाद
2 जनवरी 2019 को हो गई।
सादर नमन, शत शत नमन !

6.

‘स’ जरूरी

हद के साथ
चिरनीत जीवन के सापेक्ष
सब कुछ अव्यक्त हो जाती है,
संवेदित हो जाती है,
प्रतिवेदित और प्रतिबोधित हो जाती है !
ऐसे में समांतर सिनेमा और साहित्य भी
अखण्ड जाप करने लग जाते हैं !
यह विरोध का तेवर नहीं,
प्रतिरोध का फेवर होता है !
ऐसे में जी हुजूरी नहीं,
तो फेयर और लवली क्यों जरूरी ?

7.

बाता-बाती

जब गर्वनर हाउस से जवाब नहीं आए !
सीएम हाउस से जवाब नहीं आये !
मिनिस्टर के यहाँ से जवाब नहीं आए !
सामान्य प्रशासन विभाग से जवाब नहीं आए !
बीपीएससी से जवाब नहीं आए !
तो ऐसे में क्या करूँ ?
कहाँ जाऊँ ?
क्या हर बात पर माननीय कोर्ट ही जाऊँ ?
….के.तो यहाँ अनगिनत केस हो जाएंगे !
ऐसे सरकार और सरकारी संस्था किस काम के ?

8.

जय हिन्द

तहखाने से आगे निकल कर
इक दरवेश में पैठ कर जाते हैं,
यही तो ताउम्र वह नहीं समझ पाते हैं !
जय हिंद कहूँ या जय भारत !
फर्क तो पड़ता है,
साहस बढ़ाने में,
राष्ट्रभक्ति को लेकर !
जैसे- ताकत बढ़ाने के लिए प्रतीकार्थ लोग
जय बजरंग बली कहते हैं !
क्या ताकत बढ़ती है, वे ही बताएंगे ?
मुझे तो जय हिंद, जय भारत से ताकत मिलती है !

9.

मोक्ष

तनावमुक्ति कब मिल सकती है ?
सूक्ति में, अंधभक्ति में या देहमुक्ति में !
लोग चुनाव को भी इन तीनों से जोड़ते हैं-
सूक्ति से, अंधभक्ति से, देहमुक्ति से,
पर यहाँ देहमुक्ति से तात्पर्य
सत्तामुक्ति से है !
वैसे ही नाव भी नदी में एक संभावना लिए है,
यथा- सूक्ति में, अंधभक्ति
और देहमुक्ति से आशय
लोगों को पृथ्वीलोक से खिसकना है,
डूबना, मृत्यु या देह को समेट
मोक्ष में विलीन हो जाना है !

10.

अलग टंटे

अभी हम उनसे
दुआ-सलाम जो करते हैं !
बीच में क्या-क्या जो धरते हैं ?
हम अपनी अभिष्टता को
यहीं विचरते देखते हैं,
पर इसे विचरते नहीं हैं !
यही तो अफसोस है,
मंत्रमुग्धता के विन्यास से
जी उठता है वो धीर पुरुष,
जो संस्कारहीन है,
लोगों के अनुसार !
पर स्वयं को वो
32 कैरेट सोना कहते हैं ।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.