अज्ञान-धुंध
आज धुंध के कारण हमको,
पथ आगे का ओझल लगता,
आज धुंध के कारण मानो,
सूरज भी फीका-सा लगता.
आज धुंध के कारण ही तो,
गाड़ी से गाड़ी टकराई,
चाल बसों की धीमी पड़ गई,
हवाई उड़ान में बाधा आई.
आज धुंध के कारण ही तो,
पक्षी आकुल हैं, व्याकुल हैं,
सहमे-सहमे प्राणी सारे,
मुरझाया फूलों का कुल है.
आज धुंध के कारण ही तो,
मानव-मन भी उलझ गया है,
उसके कार्य न पूर्ण हो सके,
जीवन मानो उलट गया है.
आज धुंध के बादल छाए,
कल ये बादल छंट जाएंगे,
मानव-मन पर हैं जो छाए,
अज्ञान-जलद कब छंट पाएंगे.
जब तक ज्ञान का सूर्य न चमके,
अज्ञान-धुंध का नाश न होगा,
ज्ञान-पुञ्ज के तेज ताप से,
अज्ञान-धुंध का नाश ही होगा.