/ छोड़ो यह भेद व्यवधान /
जी नहीं सकता मैं
अकेला
जी नहीं सकते तुम
अकेले
जी नहीं सकता कोई
अकेला
इस मानव जग में
चलना है .. चलना है…
मिलजुलते – प्यार करते
एक दूसरे से और
मानते एक दूसरे को
सहयोग अदा करते परस्पर
जिंदगी को बनाना है
सुखमय – आनंदमय
शील बनो.. सच बनो..
मन, वचन, कर्म से एक रहो
शोधक बनो, अपने आप में
अंतर्यात्री बनो, दिव्य बनो
समता, ममता, भाईचारे की
भव्यधारा में तरते जाओ
लोक कल्याण की ओर
अंतिम साँस तक
अपना कुछ बनते जाओ।