रोते हुए शादी कीजिए और 5 क्षणिकाएँ
1.
हृदयग्राह्यता
बीड़ी जलईले,
जिगर से पिया;
जिगर में बड़ी आग है !
ऐसे जिगरवाले
सभी जिगरी मित्रो को
‘मित्रता दिवस’ के बाद भी
शुभकामनाएं !
हृदकामनाएँ !
हृदयग्राह्य
आदरनाएँ !
2.
राखी ना
वैसे मैं बहनों को
‘राखी’ पहनाता हूँ,
यानी रक्षा-सूत्र,
पर कोरोनाकाल में
फिजिकल डिस्टेंसिंग के कारण
इसबार राखी नहीं पहनाया,
जीवनसुरक्षा या सुरक्षित जीवन
पर्व का संदेश भी तो है !
3.
सुरक्षित जीवन
अभी इस काल में
किसी के यहाँ नहीं जाना ही
उनको सुरक्षित जीवन प्रदान करना है,
चाहे परिजन रहे या प्रियजन !
मैं घर पर रहकर भी
न तो बाँधा,
न ही बंधवाया !
4.
रोते हुए शादी कीजिए
रोते हुए भी गीत गाइये,
रोते हुए भी नहाइये,
रोते हुए भी खाइये,
रोते हुए भी पढ़िए,
रोते हुए भी प्रेम कीजिए,
रोते हुए भी शादी कीजिए,
रोते हुए भी संतानोत्पत्ति कीजिए !
सबकुछ आपको ही करने हैं,
मरद कुछ नहीं करेंगे !
5.
मेरी माँ
मेरी माँ पूजा-पाठ में
ज्यादा ही ध्यान देती थी,
उन्हें गृहस्थी से कोई मतलब नहीं,
किंतु उनमें वात्सल्य ममत्व
कूट-कूट कर भरी थी ।
मैं अज्ञेय का शेखर जरूर था,
किन्तु मेरी माँ शेखरवाली माँ नहीं थी,
किन्तु शेखर की शशि की भांति
उनकी भी एक चंद्रप्रभा थी ।