कान्हा कान्हा रटते-रटते
कान्हा की मैं हुई दीवानी।
भूल-भाल कर घर द्वार को
हो गई मैं तो प्रेम दीवानी।
जित देखू तित कान्हा कान्हा
पूजा का मैंने मरम न जाना।
श्याम रंग में रंग कर मैं तो
बावरी पागल हुई अनजानीॆ।
कान्हा कान्हा रटते-रटते
कान्हा की मैं हुई दीवानी।
भूल-भाल कर घर द्वार को
हो गई मैं तो प्रेम दीवानी।
फूल चुनन को बगिया जाऊँ
मंदिर-मंदिर दौड़ लगाऊँ।
तुलसी दल अरु हार चढ़ाऊँ
कान्हा पर बलिहारी जाऊँ।
कान्हा कान्हा रटते-रटते
कान्हा की मैं हुई दीवानी।
भूल-भाल कर घर द्वार को
हो गई मैं तो प्रेम दीवानी।
राधे रानी रास रचावे
संग कान्हा के गलियन में।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर
आन बसो अब नैनन में।
कान्हा कान्हा रटते-रटते
कान्हा की मैं हुई दीवानी।
भूल-भाल कर घर द्वार को
हो गई मैं तो प्रेम दीवानी।
— निशा नंदिनी भारतीय