जब बुखार बन गया फीवर
एक था गबरू
बन गया गब्बर
देश – दुनिया में खूब
मचाया अंधेर
नए जमाने में उसी के रीमेक
की तरह बुखार बन गया फीवर
जिसके नाम से अब दुनिया कांपे थर – थर
नाम सुनते ही क्या राजू क्या राजा
पसीने से हो रहे तर – बतर
बुखार वाले को देखते ही क्या छोटे क्या बड़े
अच्छे – अच्छे डॉक्टर भी कर रहे
हाथ खड़े
दौडों – भागो टेस्ट कराओ
नहीं तो कहीं जाकर मर जाओ .
ट्रेन बंद , प्लेन बंद
बंद मेला – ठेला
सिर्फ़ दवा दुकानों के सामने
दिखता है इंसानों का रेला
— तारकेश कुमार ओझा